ऐसे उदास नज़रों से न देखो
दिल दहल जाएगा
उदास क्यों हो बता दो गर
माथे पर शिकन
आँखों में उदासी
चेहरा बेनूर कर देगा
परेशान क्यों हो
रास्ते कई है
उलझन है सुलझ जाएगा
मित्र,सखा,बंधु
कुछ भी कह लो मुझे
मै हूँ हर पल
साथ तुम्हारे
मानो न मानो
अपना मुझे तुम
इस कठिन घड़ी में हूँ
आस पास तुम्हारे
Posted by संजय भास्कर on June 27, 2010 at 5:02 pm
lajwaab racha…..
Posted by M VERMA on June 27, 2010 at 1:21 pm
परेशान क्यों होरास्ते कई हैउलझन है सुलझ जाएगाऔर फिर उलझन में उलझे बिना उलझन नहीं सुलझतीसुन्दर रचना
Posted by माधव on June 27, 2010 at 12:23 pm
nice
Posted by आशीष मिश्रा on June 27, 2010 at 11:43 am
बहोत अच्छा भारत प्रश्न मंच आपका स्वागत करता है. http://mishrasarovar.blogspot.com/