(1)
चाँद खिला पर रौशनी नही आयी
रात बीती पर दिन न चढ़ा
अर्श से फर्श तक के सफ़र में
कमबख्त रौशनी तबाह हो गया
(2)
दिल की हालत कुछ यूं बयान हुई
कुछ इधर गिरा कुछ उधर गिरा
राह-ए-उल्फत का ये नजराना है जालिम
न वो तुझे मिला न वो मुझे मिला
http://www.esnips.com//escentral/images/widgets/flash/dj1.swf |
hamne dekhi hai.mp… |
Advertisements
Posted by Sunil Kumar on August 21, 2010 at 10:13 pm
अल्फाजों के साथ इंसाफ किया है, शुभकामनायें