इन पीले पत्तों को कभी गिरते हुए देखा है सुखी पत्ती घुमती हुई ,धरती को छूतीहै धरती के आगोश में समाने को उत्सुक है क्यों न हो आखिर उसे खाद बनना है एक और पेड़ जनना है घोंसलों में नींव बनना है चिड़ियों को बचाना है गिलहरियों का बिछोना है इन पत्तियों को यूं ही बर्बाद न होने दो इन्हीं पत्तियों से धरती को आबाद करना है |
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7 Jun
Posted by हेमंत कुमार दुबे (Hemant Kumar Dubey) on June 16, 2011 at 12:01 am
कई सारे सन्देश देती यह अर्थपूर्ण कविता दिल को छू गयी है | पर्यावरण के बारे में और पीले पत्तों के माध्यम से बुजुर्गो के बारे में कितना सटीक कहा है आप ने !
Posted by Patali-The-Village on June 10, 2011 at 9:37 pm
पीले पत्तों के बहाने कितना कुछ कह दिया आपने। सुन्दर रचना|
Posted by Deepak Saini on June 10, 2011 at 6:42 pm
सुन्दर रचना
Posted by Amrita Tanmay on June 10, 2011 at 12:25 pm
Behad arthpurn..sundar kavita…aabhar…
Posted by Dilbag Virk on June 9, 2011 at 9:37 pm
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है कृपया पधारें चर्चा मंच
Posted by Babli on June 9, 2011 at 9:06 am
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण कविता!
Posted by पंकज मिश्रा on June 9, 2011 at 2:12 am
हम भी जब अवसान की ओर जाते हैं तो कुछ इसी तरह झूमना चाहिए। हालांकि अमूमन ऐसा हो नहीं पाता। अच्छी कविता के लिए बधाई स्वीकार करें।
Posted by sushma 'आहुति' on June 8, 2011 at 8:09 am
waah! gahan chintan karati rachna…
Posted by Vivek Jain on June 7, 2011 at 11:17 pm
इन्हीं पत्तियों से धरती को आबाद करना है अति सुंदर,बधाई हो आपको – विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
Posted by कुश्वंश on June 7, 2011 at 10:02 pm
इन्हीं पत्तियों से धरती को आबाद करना है बेहद भावपूर्ण शब्द
Posted by वीना on June 7, 2011 at 7:07 pm
पीली और सूखी ये पत्तियां भी कितने काम की हैं…
Posted by ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ (Zakir Ali 'Rajnish') on June 7, 2011 at 1:05 pm
पीले पत्तों के बहाने कितना कुछ कह दिया आपने।———बाबूजी, न लो इतने मज़े… भ्रष्टाचार के इस सवाल की उपेक्षा क्यों?
Posted by Er. सत्यम शिवम on June 7, 2011 at 1:02 pm
bhut sundar
Posted by Manpreet Kaur on June 7, 2011 at 11:42 am
बहुत ही अच्छे शब्द है !अपना महत्वपूर्ण टाइम निकाल कर मेरे ब्लॉग पर जरुर आए !Free Download Music + LyricsFree Download Hollywwod + Bollywood Movies
Posted by रश्मि प्रभा... on June 7, 2011 at 11:05 am
इन पत्तियों को यूं ही बर्बाद न होने दो इन्हीं पत्तियों से धरती को आबाद करना है sahi kaha