हसीं ख्वाब मेरे
तुमने यूं चुराए
मन की चोर निगाहें
ढूंढें परछाईं मेरी
हवाओं की सरसराहट
पैगाम लाती थी तेरी
वो भूला सा शख्स
ये यादों का बज़्म
तेरी याद में लिख दिया
ये दर्द भरा नज़्म
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27 Apr
27 Apr
हसीं ख्वाब मेरे
तुमने यूं चुराए
मन की चोर निगाहें
ढूंढें परछाईं मेरी
हवाओं की सरसराहट
पैगाम लाती थी तेरी
वो भूला सा शख्स
ये यादों का बज़्म
तेरी याद में लिख दिया
ये दर्द भरा नज़्म
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Posted by Dharam on June 24, 2012 at 10:18 am
good one . my new blog Kshubham-dharam.blogspot.com
Posted by Ramakant Singh on June 17, 2012 at 3:14 pm
मैं तो हक्का बक्का रहा गया आपकी कविताओं को पढ़कर कहूँगा तो कह देंगी कि मिथ्या तारीफ़ कर रहा हूँ . आप कहाँ थीं आज तक ,मेरा नसीब कि आपकी कविताएँ पढ़ने का सौभाग्य मिला .सचमुच सभी कविताएँ अति भावमय ……..
Posted by Reena Maurya on May 9, 2012 at 12:46 pm
बहुत ही बढ़िया, उत्कृष्ट रचना….बहुत कुछ पढ़ने को बाकि है…..समर्थक बन रही हु…..अब आती रहूंगी….
Posted by mridula pradhan on April 30, 2012 at 8:44 pm
bahut sunder …..
Posted by Udan Tashtari on April 30, 2012 at 7:12 am
बहुत उम्दा रचना!
Posted by ZEAL on April 29, 2012 at 8:03 pm
Beautiful creation. Thanks.
Posted by expression on April 29, 2012 at 5:44 pm
वाह…अनजाने अजनबी तुम जीवन में यूं आयेहसीं ख्वाब मेरे तुमने यूं चुराए सुंदर कविता..अनु
Posted by गिरिजा कुलश्रेष्ठ on April 28, 2012 at 11:36 pm
सुन्दर कविता
Posted by रविकर फैजाबादी on April 28, 2012 at 8:42 am
हिम्मत से रहिये डटे, घटे नहीं उत्साह |कोशिश चढ़ने की सतत, चाहे दुर्गम राह |चाहे दुर्गम राह, चाह से मिले सफलता |करो नहीं परवाह, दिया तूफां में जलता |चढ़ते रहो पहाड़, सदा जय माँ जी कहिये |दीजै झंडे गाड़, डटे हिम्मत से रहिये ||
Posted by M VERMA on April 27, 2012 at 10:56 pm
सुन्दर नज़्म
Posted by anju(anu) choudhary on April 27, 2012 at 9:46 pm
यूँ कभी आसान तो कभी बड़ी मुश्किल हैं ये जिंदगी
Posted by डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) on April 27, 2012 at 8:04 pm
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।लिंक आपका है यहाँ, कोई नहीं प्रपंच।।आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!सूचनार्थ!
Posted by sushma 'आहुति' on April 27, 2012 at 7:59 pm
कोमल भावो की अभिवयक्ति……
Posted by डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) on April 27, 2012 at 7:48 pm
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!सूचनार्थ!
Posted by Asha Saxena on April 27, 2012 at 12:40 pm
बहुत भावपूर्ण रचना |"यह धुप की बेला, यह छाँव सी जिंदगी ,ना चांदनी रात ना सितारों से दिल्लगी "मन को छूती पंक्तियाँ |आशा
Posted by अरूण साथी on April 27, 2012 at 11:09 am
तेरी याद में लिख दिया ये दर्द भरा नज़्म wah…prem…..punrn kawita..aabhar