अमावस में बिखेरूँगी…….


painting by sh raja ravi verma

चुप हूँ मैं.…पर उदास नहीं 
सपने ओझल हुए पर बुझे नहीं 
है  अनोखी सी ये ज़िन्दगी 
और ये गुज़रते वक़्त का साथ  ॥ 

दिन-दोपहर-रात….. एक सा !
आँखों में फैला एक धूआं सा ,
छांव की तलाश में है आँखें उनींदी ,
जाने कोई पकड़ ले वक़्त का हाथ    !!

शहद सी मीठी जीवन की आस ,
पर लम्हों से जुड़े है वक़्त की शाख़ ,
काल-दरिया में बहना न चाहूँ मैं ,
इश्क़ का मोहरा ग़र दे दे साथ   ॥ 

एकाकी जीवन रोशन कर ली मैंने ,
सूरज को आँचल में छुपाया है मैंने ,
चांदनी की छटा भी समेट लिया है ,
अमावस में बिखेरूँगी जगमगाता प्यार !!

7 responses to this post.

  1. पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
    कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
    ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं (23) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !

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  2. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने…..

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  3. प्यार से भी प्यारी कविता

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  4. उम्दा लेखन.

    सादर.

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  5. सही बात .. अनायास ही फुट पड़ती है/ऐसी कविता..क्योकि दिल से निकलती है

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  6. कोमल भावनाएं लिए..
    सुन्दर रचना….
    🙂

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  7. भाव भीनी दिल को छूती,भावो को झकझोरती।

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