मेरी गली से………..



मेरी गली से जब भी गुजरीं वो
खुशबू का सैलाब सा बह गया
रूह तक पहुंची वो खुशबू-ए-उल्फत
मुहब्बत का तकाजा बढ़ गया
दिल के दामन में आकर
धूम मचाकर रख दिया
सपनो में भी चैन न आया
वो आयी और मै दीवाना हो गया
इश्क जब सर पर चढ़ा
वो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई
अब तो ये हाल है जानम
मालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुई

5 responses to this post.

  1. इश्क जब सर पर चढ़ावो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुईअब तो ये हाल है जानममालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुईबिल्कुल सच है जी।

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  2. सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  3. khubsurat rachnaaabhar…mere blog par "jharna"

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  4. वाह वाह क्या बात है वो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुईएकदम नये शब्द दिये है भावो कोशुभकामनाये

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  5. वाह! क्या बात है!

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