मेरी गली से जब भी गुजरीं वो
खुशबू का सैलाब सा बह गया
रूह तक पहुंची वो खुशबू-ए-उल्फत
मुहब्बत का तकाजा बढ़ गया
दिल के दामन में आकर
धूम मचाकर रख दिया
सपनो में भी चैन न आया
वो आयी और मै दीवाना हो गया
इश्क जब सर पर चढ़ा
वो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई
अब तो ये हाल है जानम
मालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुई
Posted by ehsas on January 21, 2011 at 12:44 pm
इश्क जब सर पर चढ़ावो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुईअब तो ये हाल है जानममालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुईबिल्कुल सच है जी।
Posted by Kailash C Sharma on January 20, 2011 at 8:58 pm
सुन्दर अभिव्यक्ति..
Posted by दीप्ति शर्मा on January 20, 2011 at 6:17 pm
khubsurat rachnaaabhar…mere blog par "jharna"
Posted by deepak saini on January 20, 2011 at 5:19 pm
वाह वाह क्या बात है वो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुईएकदम नये शब्द दिये है भावो कोशुभकामनाये
Posted by nilesh mathur on January 20, 2011 at 4:47 pm
वाह! क्या बात है!