डूबा दिन ढल गयी शाम ,रोक न पाऊँ मैं आकाश सज गए तारों से ,कदम बढाऊँ मै
न हो ये शाम रात बदनाम , दिल बरबस तनहा जाने क्या दिन का राज़ , उत्फुल्ल है मन |
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24 Aug
24 Aug
डूबा दिन ढल गयी शाम ,रोक न पाऊँ मैं आकाश सज गए तारों से ,कदम बढाऊँ मै
न हो ये शाम रात बदनाम , दिल बरबस तनहा जाने क्या दिन का राज़ , उत्फुल्ल है मन |
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Posted by रेखा on August 25, 2011 at 4:48 pm
बहुत खुबसूरत प्रस्तुति ….
Posted by prerna argal on August 25, 2011 at 1:28 pm
बहुत सुंदर भावों से लिखी शानदार अभिब्यक्ति /बधाई आपको /please visit my blog .thanks.www.prernaargal.blogspot.com
Posted by संगीता स्वरुप ( गीत ) on August 25, 2011 at 12:17 pm
सुन्दर प्रस्तुति
Posted by अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) on August 25, 2011 at 10:27 am
खूबसूरत अह्सास.
Posted by ज्ञानचंद मर्मज्ञ on August 25, 2011 at 10:27 am
sundar prastutu!abhaar!
Posted by Sadhana Vaid on August 25, 2011 at 8:18 am
खूबसूरत मनोभावों की उतनी ही खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर !
Posted by अनुपमा त्रिपाठी... on August 25, 2011 at 7:34 am
prafuula karti rachna..
Posted by यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur) on August 24, 2011 at 7:28 pm
कल 25/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
Posted by anita agarwal on August 24, 2011 at 7:26 pm
komal ehsaas se saji ek rachna..
Posted by वन्दना on August 24, 2011 at 5:58 pm
सुन्दर रचना
Posted by sushma 'आहुति' on August 24, 2011 at 10:56 am
बहुत ही खुबसूरत….
Posted by S.N SHUKLA on August 24, 2011 at 10:15 am
बहुत सुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति .कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.