ये चीत्कार !
ये हाहाकार !
ये संहार !!! क्यों ?
ये संत्रास !
ये परिहास !
सब बदहवास ! क्यों?
ये वारदात !
ये मारकाट !
सब बरबाद ! क्यों?
प्रशासन हाय !
नाकामी दर्शाय !
नाकाबिल ये ! क्यों??
देश है त्रस्त !
लुटेरे है मस्त !
अनाचार ज़बरदस्त ! क्यों?
कोई तो बताये !
कौन है सहाय!
अब सहा न जाए ! यूं ।।
Posted by संगीता स्वरुप ( गीत ) on June 24, 2012 at 11:27 pm
इस क्यों का जवाब कौन देगा ? विचारणीय रचना
Posted by अजय कुमार झा on June 24, 2012 at 8:21 pm
आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस के लिए , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक , यही उद्देश्य है हमारा , उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी , टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें
Posted by वन्दना on June 24, 2012 at 6:10 pm
इन प्रश्नो के जवाब मिलने इतने आसान नही
Posted by Reena Maurya on June 21, 2012 at 4:33 pm
गहन भाव लिए..बहुत ही बेहतरीन रचना…
Posted by Suman Dahal on June 20, 2012 at 4:56 pm
me nepal se hu. muhe hindi thoda samjme aata he. aur me hindi sikna chata hu aur hindi article padna vi. muhe ye kabita bahat acchha laga 🙂
Posted by अनामिका की सदायें ...... on June 19, 2012 at 11:41 pm
ye kyu bahut bhayanak hai jo sadiyon se chala aa raha hai lekin badlaav door door tak nazar nahi aata.
Posted by रचना दीक्षित on June 19, 2012 at 8:47 pm
यह प्रश्न खुद समस्या की ओर इंगित कर रहा है. बहुत सुंदर चिंतन और सुंदर कविता.
Posted by Naveen Mani Tripathi on June 19, 2012 at 6:56 pm
bahut hi behtareen sargarbhit prshno ko sametati hui rachana …abhar ana ji
Posted by Amrita Tanmay on June 19, 2012 at 5:02 pm
बहुत सुन्दर रचना..
Posted by दिगम्बर नासवा on June 19, 2012 at 3:54 pm
ये चीत्कार, ये हाहाकार खुद का खुद के अंदर ही है … और खुद ही दुरुस्त किया जा सकता है …
Posted by Pallavi saxena on June 18, 2012 at 9:50 pm
इस एक क्यूँ का जवाब शायद हामरे अंदर ही छुपा है कहीं बस देश के हर एक नागरिक को खुद को समझना अभी बाकी है।
Posted by Anju (Anu) Chaudhary on June 18, 2012 at 6:54 pm
इस क्यूँ का कोई जवाब ही नहीं हैं ….बेहद उम्दा रचना
Posted by डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) on June 18, 2012 at 5:07 pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (19-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!सूचनार्थ!
Posted by सदा on June 18, 2012 at 11:52 am
बेहद सार्थक भाव …
Posted by Shekhar Suman on June 18, 2012 at 10:48 am
आखिर कौन बचाए…. :-(मेरे ब्लॉग पर…. पापा, आपसे माफ़ी मांगता ही रहूँगा…...
Posted by वाणी गीत on June 18, 2012 at 6:47 am
कोई बताये , कौन है सहाय, सब पूछ हारे , हाय !
Posted by मनोज कुमार on June 17, 2012 at 11:25 pm
विचरोत्तेजक रचना।
Posted by dheerendra on June 17, 2012 at 9:40 pm
देश है त्रस्त !लुटेरे है मस्त !अनाचार ज़बरदस्त ! क्यों?सशक्त प्रभावी रचना,,,,,, RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
Posted by अनुपमा पाठक on June 17, 2012 at 9:31 pm
बड़े प्रश्न हैं…उत्तर बनना होगा हमें ही!
Posted by expression on June 17, 2012 at 8:34 pm
बड़े मुश्किल है ये प्रश्न…..कौन दे आखिर जवाब…………????
Posted by sushma 'आहुति' on June 17, 2012 at 8:07 pm
सशक्त और प्रभावशाली प्रस्तुती….
Posted by Sunil Kumar on June 17, 2012 at 8:07 pm
कोई तो बताये !कौन है सहाय!अब सहा न जाए ! यूं ।सही कहा आपने, आपसे सहमत …
Posted by Sushil on June 17, 2012 at 6:48 pm
सुंदर प्रस्तुति !
Posted by M VERMA on June 17, 2012 at 6:25 pm
इस क्यों का जवाब कौन दे पायेगा भला