वो शख्स न मिला ••••••••


वो शख्स नहीँ मिला
जो आईना सा मुझे अक्स दिखाए
आंखोँ के कोरो में छुपी लालिमा मे
दिल का छुपा जख्म दिखाये

वो खुद्दारी ही थी
जो तेरी यादों से हमेशा जूझता रहा
अपने घर के दरो दीवार मेँ हीं
अपने साये को टटोलता रहा

वो मैं ही था
जो वफा पे वफा किए जा रहा था
बिना कसूर के  बरसों से ये दिल
ज़माने का ज़ख़्म लिए जा रहा था

वो बारिश न मिली
जो झरने सा तन भिगो सके
मन के अन्दर के तूफाँ को
दरिया सा राह दिखा सके

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