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वो शख्स न मिला ••••••••
Posted March 16, 2015 by bhairawi in KAVITA. Leave a Comment
वो शख्स नहीँ मिला जो आईना सा मुझे अक्स दिखाए आंखोँ के कोरो में छुपी लालिमा मे दिल का छुपा जख्म दिखाये
वो खुद्दारी ही थी जो तेरी यादों से हमेशा जूझता रहा अपने घर के दरो दीवार मेँ हीं अपने साये को टटोलता रहा
वो मैं ही था जो वफा पे वफा किए जा रहा था बिना कसूर के बरसों से ये दिल ज़माने का ज़ख़्म लिए जा रहा था
वो बारिश न मिली जो झरने सा तन भिगो सके मन के अन्दर के तूफाँ को दरिया सा राह दिखा सके
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